सौरमंडल के अनसुलझे रहस्य: वो ग्रह जहां बारिश हीरों की होती है!

वो ग्रह जहां बारिश हीरों की होती है!

हमारे सौरमंडल में दो ग्रह ऐसे हैं, जिन पर हीरों की बारिश होती है। ये ग्रह हैं यूरेनस और नेपच्यून। ये दोनों ग्रह बृहस्पति और शनि के बाद सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह हैं।

हीरों
हीरों

यूरेनस और नेपच्यून के वायुमंडल में मीथेन गैस की बहुतायत होती है। मीथेन में हाइड्रोजन और कार्बन होते हैं। जब इन ग्रहों के वायुमंडल में मीथेन पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, तो हाइड्रोजन और कार्बन के बंध टूट जाते हैं। जिसके बाद कार्बन हीरे में तब्दील हो जाता है। ये हीरे फिर वायुमंडल में ऊपर उठते हैं और बारिश का रूप ले लेते हैं।

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हीरों की बारिश की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • यूरेनस और नेपच्यून के वायुमंडल में तापमान बहुत कम होता है। शून्य डिग्री सेल्सियस से लगभग 200 डिग्री सेल्सियस नीचे। ऐसे में मीथेन गैस ठोस रूप में ही रहती है। मीथेन के ठोस रूप को मीथेन क्रिस्टल कहा जाता है।
  • मीथेन क्रिस्टल वायुमंडल में ऊपर उठते हैं, क्योंकि उन पर अत्यधिक दबाव होता है।
  • जब ये मीथेन क्रिस्टल वायुमंडल में ऊपर उठते हैं, तो दबाव कम होता जाता है। जिसके कारण मीथेन क्रिस्टल टूट जाते हैं और कार्बन हीरे में बदल जाते हैं।
  • ये हीरे फिर वायुमंडल में नीचे गिरते हैं और बारिश का रूप ले लेते हैं।

हीरों की बारिश का सौरमंडल के लिए बहुत महत्व है। हीरे एक बहुत ही दुर्लभ और मूल्यवान रत्न हैं। इनकी बारिश से सौरमंडल में हीरों की आपूर्ति बढ़ जाती है। इसके अलावा, हीरों की बारिश से ग्रहों के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा भी बढ़ जाती है।

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सौरमंडल में हीरों की बारिश एक अनोखी और रोचक घटना है। यह घटना हमें सौरमंडल की प्रकृति और गठन के बारे में बहुत कुछ बताती है। भविष्य में, हम हीरों की बारिश का लाभ उठाने के तरीके विकसित कर सकते हैं। हम हीरों की बारिश से हीरे निकाल सकते हैं और उन्हें बेचकर बहुत पैसा कमा सकते हैं। इसके अलावा, हम हीरों की बारिश से ग्रहों के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को भी कम कर सकते हैं।

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